पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास (PANCHAYATI RAJ AIVAM GRAMIN VIKAS – Panchayati Raj and Rural Development) – Hindi
धर्मेन्द्र सिंह (Dharmendra Singh)
पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास (PANCHAYATI RAJ AIVAM GRAMIN VIKAS – Panchayati Raj and Rural Development) – Hindi
धर्मेन्द्र सिंह (Dharmendra Singh)
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845.75 995
ISBN9788131600184
Publication Year2017
Pages252 pages
BindingHardback
Sale TerritoryThis edition may not be sold outside India, Myanmar, Sri Lanka, Maldives, Nepal, Bhutan, Bangladesh, and Pakistan.
About the Book
पंचायतें प्राचीन काल से ही भारतीय ग्रामीण समाज का अभिन्न अंग रही हैं। ग्रामीण भारत के आर्थिक-सामाजिक परिवेेश की उन्नति एवं प्रगति में पंचायतों की भूमिका स्वतंत्रतापूर्व तक अत्यन्त प्रभावशाली रही। महात्मा गांधी ग्रामीण भारत को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में स्वायत्तता एवं लोकतांत्रिक स्वरूप को अधिमान्यता प्रदान की। स्वतंत्रता के बाद केन्द्रीय नियोजन की विसंगतियों के उन्मूलन के लिए विकेन्द्रीकरण ने ग्रामीण विकास की राह को सुगम बनाया। सत्ता के विकेन्द्रीकरण में ग्रामीण जनता को विकास प्रक्रिया में भागीदारी प्रदान की गई। पंचायती राज प्रणाली के अन्तर्गत ग्राम पंचायतें विभिन्न पंचायती राज अधिनियमों की रोशनी में ग्रामीण विकास को संपूर्णता प्रदान कर रही है। इसी पृष्ठभूमि में प्रस्तुत पुस्तक द्वारा यह प्रयास किया गया है कि पंचायती राज संस्थाओं की कार्य प्रणाली एवं विकास में भूमिका को विविध आयामों के साथ प्रस्तुत किया जाए। पंचायती राज प्रणाली के सैद्धांतिक स्वरूप के साथ-साथ इसमें पंचायतों के कामकाज में ग्रामीण जन-सहभागिता एवं विकास में पंचायतों की भूमिका को विभिन्न आगतों के साथ प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक शिक्षाविदों, पंचायती राज प्रतिनिधियों, अनुसंधानकर्ताओं तथा पंचायती राज व्यवस्था एवं ग्रामीण विकास में रूचि रखने वाले पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
Contents
1. शोध अध्ययन: प्रारूप 2. पंचायती राज: सैद्धांतिक अवधारणा 3. ग्राम पंचायतों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों का आर्थिक विकास: मध्यप्रदेश के संदर्भ में 4. उज्जैन जिले में ग्राम पंचायतों द्वारा ग्रामीण आर्थिक विकास 5. ग्राम पंचायतों द्वारा ग्रामीण आर्थिक विकास (सर्वेक्षण के आधार पर)
About the Author / Editor
धर्मेन्द्र सिंह अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में व्याख्याता हैं। आपने पंचायती राज विषय पर डाक्टरेट की उपाधि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन तथा आई.सी.एस.एस.आर., नई दिल्ली से पोस्ट डाॅक्टोरल फैलोशिप प्राप्त की है। आपकी अनेक पुस्तकें एवं शोध पत्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
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