सत्याग्रह की पाठशाला: महात्मा गांधी के आश्रम (Satyagraha School: Mahatma Gandhi ke Ashram)
बी.एम. शर्मा (B.M. Sharma)
सत्याग्रह की पाठशाला: महात्मा गांधी के आश्रम (Satyagraha School: Mahatma Gandhi ke Ashram)
बी.एम. शर्मा (B.M. Sharma)
15% Special Discount
212.5 250
ISBN9788131612415
Publication Year2022
Pages326 pages
BindingPaperback
Sale TerritoryWorld
About the Book
महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका तथा भारत को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुना और दोनों जगह कुछ आश्रमों की स्थापना की। इन आश्रमों को एक ओर तो विभिन्न सत्याग्रह आन्दोलनों के संचालन हेतु सत्याग्रहियों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने हेतु पाठशालाओं के रूप में विकसित किया वहीं दूसरी ओर ये आश्रम गांधी विचार दर्शन की प्रयोगशालायें बनीं। आश्रमों में शिक्षित-प्रशिक्षित स्वयंसेवक वास्तव में एक अमूल्य धरोहर सिद्ध हुए। इनके माध्यम से गांधी एक प्रतिबद्ध मानव संसाधन एकत्रित कर सके। इन्हीं आश्रमों ने ‘मोहनदास’ को ‘महात्मा’ बनने में अभूतपूर्व योगदान किया है।
गांधी टॉलस्टॉय की इस विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित थे कि जिस प्रकार हिंसक युद्ध के लिए योद्धाओं को शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जाता है, उसी प्रकार अहिंसक युद्ध के लिए भी योद्धाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सत्याग्रही को इस बात का पूर्ण शिक्षण मिलना चाहिए कि किस प्रकार उसे अहिंसक युद्ध करना है। उसके साधन क्या हों और उन्हें किस प्रकार प्रयोग में लाना है? गांधी के मत में हिंसक युद्ध तो अत्यन्त सरल होता है। इसके विपरीत अहिंसक युद्ध में सत्याग्रही को कष्ट सहन करने, त्याग एवं तपस्या करने तथा प्रतिपक्षी को मारने के बजाय स्वयं में मरने की क्षमता विकसित करनी होगी। इसलिए गांधी ने दक्षिण अफ्रीका तथा भारत में विभिन्न आश्रमों की स्थापना कर सत्याग्रहियों को सत्याग्रह करने सम्बन्धी कठोर शिक्षण-प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की। इस प्रकार प्रस्तुत पुस्तक का प्रमुख प्रतिपाद्य गांधी द्वारा स्थापित विभिन्न आश्रमों का सत्याग्रहियों की पाठशालाओं के रूप में अध्ययन करना है।
Contents
•गांधी-आश्रमः परिचयात्मक विवेचन
•फीनिक्स सैटलमेण्ट
•टॉलस्टॉय फॉर्म
•सत्याग्रह आश्रम (कोचरब)
•सत्याग्रह आश्रम (साबरमती)
•सेवाग्राम आश्रम
•आश्रमों में जीवन के विविध आयामों एवं विधाओं के साथ प्रयोग
About the Author / Editor
बी.एम. शर्मा, राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर के अध्यक्ष तथा कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति रहे हैं। आप मूलतः राजस्थान विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में लगभग 38 साल से अधिक समय तक अध्यापन से जुड़े रहे हैं। आप राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष तथा समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता (Dean) रहे हैं। आप राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रशासनिक सेवा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र के भी निदेशक रहे हैं। आप राजस्थान विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद् (Executive Council), ‘सिण्डीकेट’ तथा ‘सीनेट’ के भी सदस्य रहे हैं। आप भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष रहे हैं। हाल ही में समाज में, विशेषकर युवाओं में, गांधी के विचारों का सम्यक प्रचार-प्रसार हो तथा वे गांधी दर्शन के अध्ययन एवं अनुसंधान से जुड़कर गांधी के विचारों को आत्मसात कर सकें, इसके लिए राजस्थान सरकार ने ‘महात्मा गांधी इन्स्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एण्ड सोशल साईंसेज’, जयपुर की स्थापना की है। आपको इस इन्स्टीट्यूट का संस्थापक निदेशक नियुक्त किया गया है।
आपकी लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें तथा अनेक शोध पत्र एवं लेख अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शोध-पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। गांधी पर आपकी ‘गांधी आश्रम: गांधी दर्शन की प्रयोगशालायें’, ‘Mahatama Gandhi and His Philosophy’ तथा ‘गांधी दर्शन के विभिन्न आयाम’ नामक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको ‘गोविन्द वल्लभ पंत’, ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’ एवं ‘बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर’ पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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